संजय यादव, द फायर न्यूज
कवर्धा। वैसे तो धर्मनगरी कवर्धा गन्ने के मिठास के कारण प्रदेशभर में प्रसिद्ध है लेकिन जब से झंडा विवाद हुआ है तब से जिले का मिजाज ही कुछ बदला बदला सा नजर आता है. पिछले पन्द्रह साल तक प्रदेश में बीजेपी की सरकार रही लेकिन यहां की फिजा में ऐसी कड़वाहट कभी नहीं देखी गई जो मौजूदा समय में है.
विगत वर्ष हुए झंडा विवाद के समय मंत्री मोहम्मद अकबर पर खूब लांछन लगाए गए. पूरा माहौल अकबर के खिलाफ नजर आता था.यही वजह थी कि मंत्री जो अभी हर रोज दौरा कर रहे हैं वो उस दौरान महीने भर अपने क्षेत्र में कदम भी नहीं रख पाए थे. हालांकि वह अपने बंगले से पल पल की खबर ले रहे थे. इसके बाद भी कवर्धा में माहौल ऐसा भयानक था कि 400 गाड़ियों के काफिले के साथ मंत्री को अपने ही विधानसभा में आना पड़ा जो चर्चा का विषय बना रहा. जिसके बाद मंत्री का ताबड़तोड़ दौरा और विपक्षियों को कांग्रेस में शामिल करने के अभियान ने पहले से 60 हजार से हारे भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा दी. कहा जाता है कि चुनावी मैनेजमेंट में विपक्ष को परास्त करने में मंत्री मोहम्मद अकबर जबरदस्त खिलाड़ी है.
इधर जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है राजनीति में कई अहम मोड़ सामने दिखाई देने लगे हैं. जिसमें फिलहाल जो चर्चा में है वह है भाजपा नेता कैलाश चंद्रवंशी का जिला बदर का मामला. जो जिले में ही नहीं प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलने वाले कैलाश चंद्रवंशी झंडा विवाद के समय से सरकार और पुलिस के निशाने पर आ गए उनके ऊपर दंगा भड़काने का आरोप लगाकर जेल भेजा गया, आर्म एक्ट के तहत FIR और जेल में रहते ही एक्ट्रोसिटी एक्ट के तहत FIR दर्ज किया गया.
हाल ही में कैलाश चंद्रवंशी की जमानत को खारिज करने न्यायालय में आवेदन लगाया गया था जबकि इसी प्रकरण में दोनो समुदाय के लगभग 90 लोगों को न्यायालय से जमानत मिला हुआ है. इसके अलावा कैलाश चंद्रवंशी के भाई के मेडिकल स्टोर में छापा और अब जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा कैलाश चंद्रवंशी को कवर्धा सहित 5 जिलों से 1 वर्ष के लिए जिला बदर करने की अनुसंसा से पूरी बात साफ हो गई है कि किस तरह से एक के बाद एक चाल बड़ी चालाकी व सुनियोजित ढंग से चाल चली जा रही है.
लोकतंत्र में विपक्ष का अपना दायित्व है जो जनहित के मुद्दों को शासन प्रशासन के समक्ष उठाये उनके लिए जनआंदोलन खड़ा करे किंतु जब पुलिस के द्वारा ऐसे आंदोलनों पर दर्ज FIR को आधार बनाकर जिला बदर की कार्यवाही की जाएगी तो लोकतंत्र में जनमानस की आवाज भला कौन उठाएगा. पुलिस प्रशासन के द्वारा उठाए गए इस कदम से यह तय है कि सरकार अपने खिलाफ उठने वाले आवाज व आंदोलनों को दबाने एवं समाज में भय व्याप्त करने के लिए इस प्रकार का निर्णय लिया गया है. इस साल के नवंबर में चुनाव एवं दिसंबर में नई सरकार का गठन होना है और अगर पुलिस अधीक्षक के अनुशंसा पर कैलाश चंद्रवंशी की 1 वर्षों के लिए जिला बदर किया जाता है तो वह आगामी चुनावी कार्यक्रम से बाहर हो जाएंगे और विपक्षी नेताओं पर लगाम कसने में भी सत्ता पक्ष सफल हो जाएगा.
चुनावी वर्ष होने के बाद भी प्रशासन के इस कदम से जहां बीजेपी बैकफुट में नजर आ रही है वहीं कैलाश चंद्रवंशी के समर्थन में पिछले दिनों सर्वकुर्मी छत्रिय समाज के बैनर तले सभी समाज प्रमुखों ने जिलाधीश से मुलाकात कर जिला बदर की अनुशंसा को खारिज करने की मांग की और अब कैलाश चंद्रवंशी के गृहग्राम के ग्रामीण भी प्रशासन के खिलाफ लामबंद हो रहे है इसी क्रम में शुक्रवार को ग्राम पंचायत कंझेटा के सरपंच एवं पूर्व सरपंच सहित सभी समाज के प्रमुखों के साथ कैलाश के माता- पिता, बहन और पत्नी अपने बच्चों के साथ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और मंत्री के निर्देश पर पुलिस के द्वारा मेरे बेटे को परेशान करने का आरोप लगाया और सपरिवार जिला बदर करने की मांग की है.