वन विभाग की मिली भगत से कबीरधाम जिले में फल फूल रहे लकड़ी के अवैध कारोबार, बिना लाइसेंस के आरा मील, इमारती लकड़ी की तस्करी के साथ-साथ हाथियों के दल ने मचा रखा है उत्पात, पढ़िए पूरी खबर




 संजय यादव (द फायर न्यूज)

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कवर्धा। प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर जहां एक ओर पूरी सक्रियता से जिले में विकास कार्य करा रहे हैं और लगातार दौरा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके ही विभाग ( वन विभाग) के नुमाइंदे अपनी निष्क्रियता से आराम फरमा रहे हैं और अपने निवास तथा चेंबर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। यही वजह है कि जिले में पेड़ों की अवैध कटाई, तस्करी से लेकर अवैध आरा मीलों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में आरा मशीनों का जखीरा है, यहां लकड़ी कहां से आती है और कौन लाता हैं, इसकी जांच नहीं होती। यही वजह है कि अवैध इमारती लकड़ी तस्करों व आरा मील संचालकों के हौसले बुलंद हैं।

मंत्री तक इस बात की शिकायत

वन विभाग की नाकामी के चलते जिले में अवैध आरा मीलो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जहां इमारती लकड़ी का अवैध रूप से तस्करी कर फर्नीचर तैयार किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण बुधवार को सहसपुर लोहारा वन परिक्षेत्र अंतर्गत बोटेसुर में वन विभाग द्वारा की गई कार्यवाही से पता चलता है कि किस तरह वन कर्मियों के नाक के नीचे अवैध व्यापार चलाया जा रहा है। इससे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना भी लाजिमी है। चूंकि बोटेसुर में लंबे समय से अवैध बढई गिरी व‌ इमारती लकड़ी से फर्नीचर बनाने का कार्य धड़ल्ले से चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक इस अवैध व्यापार की जानकारी वन विभाग के नुमाइंदों को थी और मिली भगत से कार्य का संपादन हो रहा था  लेकिन किसी ने वन मंत्री तक इस बात की शिकायत कर दी जिसके बाद वन अमले हरकत में आया और आनन फानन में छापामार कार्यवाही की है।

कबीरधाम जिले का जंगल तबाह हो रहा है

इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने में मस्त है। इधर कबीरधाम जिले का जंगल तबाह हो रहा है। वन संपदा को नुक़सान पहुंच रहा है। वनों में निवासरत लोगों को डर के साए में जीना पड़ रहा है। इस पर हाथियों के आंतक ने भी कोई कसर नहीं छोड़ा है। लोगों के मकानों को हाथियों के दल ने तोड़ फोड़ दिया है। हड्डी कंपा देने वाली इस ठंड में मकान टूटना और ऊपर से हाथियों का डर बैगा आदिवासीयों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। लेकिन वन विभाग के पास उनके समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। ये पहली बार नहीं है। हाथियों के दल ने पहले भी उत्पात मचाया था। इसके बावजूद वन विभाग ने सुरक्षा के लिए ना कोई बंदोबस्त किए और ना ही कोई तैयारी की गई यही वजह है कि एक बार फिर लोगों को नुक़सान झेलना पड़ रहा है। यह सब वन विभाग के नुमाइंदों की कमज़ोरी और लापरवाही को दर्शाता है। जिससे वन विभाग के प्रति ग्रामीणों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।

मंत्री मोहम्मद अकबर की छवि कर रहे धूमिल

इधर वन मंत्री मोहम्मद अकबर जिले के विकास हेतु तत्पर रहते हैं। मगर उनके ही विभाग के अधिकारी कर्मचारी मंत्री जी को कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनका छवि धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इस तमाम विषयों पर 'द फायर न्यूज ' की टीम ने वन मंडलाधिकारी चुड़ामणी  से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन वह मीडिया को जवाब देने से बच रहे हैं। बहरहाल आगे भी हम वन विभाग की नाकामियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते रहेंगे। 

 

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