छत्तीसगढ़ : कवर्धा में जहां मंदिरों में विशेष हवन-पूजन होगा। वहीं आज अर्धरात्रि को मां चंडी, परमेश्वरी और दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर निकलेगा। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के तहत आज देर रात तीन देवी मंदिर से खप्पर निकलेगा। इस दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके लिए पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है।
खप्पर निकालने की वर्षो पुरानी परंपरा
भारत वर्ष में देवी मंदिरों से खप्पर निकालने की परंपरा 100 साल से भी पुरानी है। देश में कलकत्ता के बाद छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और कवर्धा में ही खप्पर निकालने की परंपरा रही है। अब यह परपंरा देशभर में केवल कवर्धा में में बची हुई है। कवर्धा में दो सिद्धपीठ मां दंतेश्वरी और मां चण्डी मंदिर और एक देवी मंदिर मां परमेश्वरी से परंपरा के अनुसार खप्पर निकाला जाता है।
ऐसी मान्यता है कि खप्पर के नगर भ्रमण से किसी भी प्रकार की कोई भी आपदा, बीमारी नगर में प्रवेश नहीं कर पाती। वहीं शहर में सुख, शांति समृद्धि बनी रहती है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि दंतेश्वरी मंदिर से खप्पर की यह परंपरा करीब 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। वहीं शहर के ही मां चंडी मंदिर से 20 साल पहले मां परमेश्वरी मंदिर से निकलना शुरू हुआ है, जो आज भी कायम है। खप्पर मां काल रात्रि का रूप माना जाता है, जो एक हाथ में तलवार और दूसरे में जलता हुआ खप्पर लेकर मध्य रात्रि को शहर भ्रमण करती है।
इस तरह से तैयार होता है खप्पर