अवैध वसूली की खबर से कथित पत्रकार और आरटीओ के नुमाइंदों को लगी मिर्ची, अपनी करतुतों को छुपाने आनन- फानन में जारी किया फर्जी आंकड़े
कवर्धा। बोड़ला आरटीओ में अवैध वसूली की खबर से न केवल विभाग में बल्कि तमाम आला अफसरों में भी हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल बुधवार को 'द फायर न्यूज ' की टीम ने खुलासा किया कि किस तरह बोड़ला में आरटीओ के नाम पर अवैध वसूली चरम पर है। जिसके चलते न केवल वाहन चालकों को दिक्कतें आ रही है बल्कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर भी असर हो रहा है। बोड़ला आरटीओ की लापरवाही उजागर होने के बाद आरटीओ के नुमाइंदों ने बड़ी चालाकी से एक फर्जी आंकड़े जारी किया। जिसमें दावा किया गया है कि पिछले 23 दिनों में उड़नदस्ता की टीम ने 5000 हजार गाड़ियों पर चालानी कार्रवाई कर दो करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त किया है। ये कार्रवाई दुर्ग संभाग अंतर्गत दुर्ग, बालोद, कबीरधाम, राजनांदगांव, खैरागढ़ और मानपुर मोहला जिले में हुई है।
यह जानकारी एक अखबार की कटिंग वायरल कर अपनी नाकामियों को छुपाने और लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश मात्र है। जिस अखबार की कटिंग को वायरल किया जा रहा है वह भी पिछले कई दिनों पहले की है। लेकिन हकीकत तो यह है कि आरटीओ के नुमाइंदों ने भ्रष्टाचार और अपनी लापरवाही से विभाग को पूरी तरह से रौंद डाला है। यदि इनकी बातों में और कार्यों में जरा भी सच्चाई होती तो वह पत्रकारों के सवालों से डरते नहीं। 'द फायर न्यूज' की टीम ने खबर छापने से पहले मामले पर बाईट के लिए जब जिम्मेदारों से संपर्क किया तो बोड़ला आरटीओ प्रभारी मनोज साहू ने तो एक भी बार फोन नहीं उठाया और ना ही मौके पर मौजूद रहे। वहीं जब उड़नदस्ता दुर्ग प्रभारी विकास शर्मा से जब बात की गई तो वह सवाल सुनते ही गलत नंबर बताकर फोन रख दिया जबकि यह नम्बर 8435080002 दुर्ग प्रभारी विकास शर्मा का ही है। इस तरह विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपनी चोरी और लापरवाही छुपाने के लिए मुंह छिपाते नजर आते हैं।
सवाल ये है कि पूरे दुर्ग संभाग में उड़नदस्ता की टीम ने दो करोड़ रूपए मात्र 23 दिन में वसूला है तो कबीरधाम जिले के बोड़ला में अब तक कितनी कारवाई और वसूली हुई है। प्रभारी मनोज साहू बोड़ला में मौजूद नहीं रहते तो उनके स्थान पर वसूली करने वाले लोग कौन हैं। क्या मनोज साहू ने आरटीओ को ठेका में दे रखा है कि कोई भी वहां पर वसूली करता रहे या फिर केवल वसूली के लिए मनोज साहू को बोड़ला में बैठाया गया है। इन तमाम सवालों के जवाब विभाग के अधिकारियों से पूछा जाना जरूरी है लेकिन दुर्भाग्यजनक है कि आला अफसर पत्रकारों से छुपते और भागते फिरते हैं। इसे देखते हुए परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से यह सवाल करना लाजिमी हो गया है।
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