कवर्धा। जिला चिकित्सालय में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ प्रभातचंद्र प्रभाकर और बाबू दीपक ठाकुर पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। जबकि सिविल सर्जन डॉ प्रभातचंद्र प्रभाकर और दीपक ठाकुर से अस्पताल के अन्य कर्मचारी भी बेहद त्रस्त है। ये दोनों ही अस्पताल में कर्मचारियों से किस तरह जेम्स बॉन्ड जैसा बर्ताव करते हैं ये जग जाहिर है। जिसका आडियो वीडियो भी वायरल हुआ है। इसके बावजूद न प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है और ना ही सरकार के नुमाइंदे।
जबकि इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय विधायक व मंत्री मोहम्मद अकबर तक की गई है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से 21 जुलाई को सर्व आदिवासी समाज के बैनरतले कलेक्टर कार्यालय का घेराव व मंत्री मोहम्मद अकबर का पुतला दहन किया जाएगा।
सिविल सर्जन डॉ प्रभातचंद्र प्रभाकर और बाबू दीपक ठाकुर का रिकार्ड है खराब
डॉ प्रभातचंद्र प्रभाकर और बाबू दीपक ठाकुर के खिलाफ दर्जनों शिकायत है इसके बावजूद उन्हें संरक्षण देना समझ से परे है। नीचे शिकायत की तस्वीरें में आप देख सकते हैं कि किस तरह दीपक ठाकुर पर रिश्वत मांगने, पोस्ट मार्डम करने वाले का पैसा खाने, सफाई ठेकेदार से भुगतान करने के एवज में रिश्वत मांगने जैसे आरोप पर शिकायत हुई है लेकिन आज तलक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि शिकायत करने वाले की मौत भी हो गई मगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला। वहीं एक महिला डॉक्टर ने प्रताड़ना से परेशान होकर नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया। ऐसे दर्जनों मामले है जिसकी शिकायत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं डॉ प्रभाकर पर कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने से लेकर मिलीभगत करने समेत कई गंभीर आरोप है इसके बावजूद कार्रवाई ना होना सिस्टम की लचर व्यवस्था को दर्शाता है।
कामू बैगा ने मोर्चा खोला तो उन्हें ही राजनीतिक षड्यंत्र कर फंसाने की है तैयारी
कबीरधाम जिले में आदिवासियों और बैगा समाज के लिए कामू बैगा लगातार कार्य कर रहा है। पिछले दो साल में उन्होंने अनेक कार्यक्रम और लोगों को इंसाफ दिलाने व्यक्तिगत रूप से भी भागदौड़ किया। यही वजह है की युवाओं में लोकप्रियता बढ़ी है। हाल ही में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी उनके कार्यों की सराहना की थी।
मंत्री मोहम्मद अकबर कामू बैगा की लोकप्रियता से भयभीत तो नहीं
जिस तरह जिला अस्पताल के गालीबाज सिविल सर्जन डॉ प्रभाकर और बाबू दीपक ठाकुर को पूरा सिस्टम बचाने में लगा है इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किनके इशारों पर यह सारा खेल चल रहा है। जिसमें एक आदिवासी युवा की आवाज को दबाने और उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर डैमेज करने की कोशिश की जा रही है।
बहरहाल देखना यह होगा कि कामू बैगा को जिला अध्यक्ष पद से हटाने के बाद भी 21 जुलाई को कलेक्टर कार्यालय घेराव व मंत्री मोहम्मद अकबर का दहन कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज का कितना साथ मिलता है और प्रदर्शन के बाद अस्पताल के गालीबाज सिविल सर्जन डॉ प्रभातचंद्र प्रभाकर और बाबू दीपक पर कार्रवाई होती है या नहीं।