रायपुर | सनातन धर्म में एकमात्र भगवान जगन्नाथ के स्नान करने से बीमार होने की परंपरा निभाई जाती है। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा पर राजधानी के जगन्नाथ मंदिरों में भगवान को स्नान कराया जाएगा। मंदिर परिसर की बावली के जल में गंगाजल मिलाकर पुजारी एवं श्रद्धालु बारी-बारी से भगवान को स्नान कराएंगे। ऐसी मान्यता है कि अत्यधिक स्नान के पश्चात भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं। इस परंपरा के चलते मंदिरों में पट 15 दिनों के लिए बंद कर दिए जाएंगे। पट बंद रहने के दौरान भगवान को औषधियुक्त काढ़ा का भोग लगाया जाएगा।
दो साल बाद 10 मंदिरों से निकलेगी रथयात्रा
पुरानी बस्ती, सदरबाजार, गायत्री नगर, पुराना मंत्रालय, आमापारा, अश्विनी नगर, लिली चौक, कोटा, आकाशवाणी कालोनी, गुढ़ियारी के जगन्नााथ मंदिरा से एक जुलाई को धूमधाम से रथयात्रा निकाली जाएगी। कोरोना काल में पिछले दो सालों से रथयात्रा नहीं निकाली गई थी। इस साल रथयात्रा की तैयारियां जोरशोर से की जा रही है।
जगन्नााथ मंदिरों में निभाएंगे स्नान परंपरा
गायत्री नगर स्थित जगन्नााथ मंदिर के संस्थापक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि जगन्नााथ महाप्रभु की द्वाद्वश यात्रा में से एक स्नान यात्रा की परंपरा 14 जून ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर विधिविधान से निभाई जाएगी। सुबह 10 से 12 बजे तक भगवान के श्रीविग्रह पर डोर बांधने की रस्म निभाएंगे। सूना कुआं, बावली से 108 कलशों में अभिमंत्रित जल से स्नान कराया जाएगा। स्नान के पश्चात श्रीविग्रहों को हाथीवेश अथवा गजानन वेशभूषा से अलंकृत किया जाएगा।
पूर्णिमा से अमावस्या तक एकांतवास में निवास करेंगे भगवान
स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाएंगे इसलिए पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 दिन भगवान एकांतवास में रहेंगे। श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। बाहर से ही श्रद्धालु मत्था टेककर भगवान का हालचाल जानेंगे।
नैनोत्सव 30 जून और रथयात्रा एक को
भगवान जगन्नााथ को 29 जून तक काढ़ा पिलाने की रस्म निभाई जाएगी। 30 जून को नैनोत्सव में भगवान की आंखें खोलने की परंपरा निभाएंगे। स्वस्थ होने के पश्चात भगवान एक जुलाई को प्रजा से मिलने रथ पर विराजित होकर निकलेंगे।