अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली प्रथम पुस्तक बनी "टॉम्ब ऑफ सैंड"

 


भारत देश को इस साल  गौरवान्वित किया गीतांजलि श्री का उपन्यास "टॉम्ब ऑफ सैंड" | अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली उपन्यास भारतीय भाषा की पहली पुस्तक बन गई है ,रेत समाधी जिसका अंग्रेजी रूपांतरण है  टॉम्ब ऑफ सैंड | यह पुस्तक एक यात्रा पर आधारित है जिसमें एक 80 वर्षीय महिला की रेगिस्तानी गाथा है। रेत का मकबरा उत्तरी भारत में स्थापित है। इसे बुकर न्यायाधीशों ने "आनंददायक कैकोफनी" कहा था। नई दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा की  मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कर सकती हूं। कितनी बड़ी मान्यता है यह, मैं चकित, प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र हूं। मूल रूप से हिंदी में परंतु आंग्ल भाषा में अनुवादित पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद डेज़ी रॉकवेल द्वारा किया गया है। पुरस्कार हासिल करने के बाद लंदन में अपने भाषण के दौरान, लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पुरस्कार से अभिभूत हैं। 50,000 पाउंड का पुरस्कार गीतांजलि और अमेरिका की लेखिका ड़ेंजी रॉकवेल के बीच साझा किया गया।





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