लोकसभा में प्रश्नकाल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि विदेशी निवेश को केवल एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) और एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) से नहीं मापना चाहिए। उन्होंने कहा कि एफआईआई और एफपीआई की निर्भरता ब्याज दरों पर होती है और उनमें उतार-चढ़ाव होता रहता है। उन्होंने कहा कि एफआईआई और एफपीआई आते-जाते रहते हैं। लेकिन आज भारतीय खुदरा निवेशकों ने साबित किया है कि कोई भी झटका लगे, उसे संभाला जा सकता है। गौरतलब है कि शशि थरूर ने भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों द्वारा 1.14 लाख करोड़ रुपये से अधिक धन निकाले जाने का जिक्र करते हुए विदेशी निवेशकों का निवेश कम होने की प्रवृत्ति के बारे में सवाल किया था।
इस पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि भारत में कोविड से पहले से सर्वाधिक एफडीआई आ रहा था, जो कोविड महामारी के संकट काल में भी अच्छी स्थिति में रहा और उसके बाद अब भी बेहद अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि खुदरा निवेशकों ने आज भारत के बाजारों में काफी विश्वास पैदा किया है। निर्मला सीतारमण ने आगे बोलते हुए कहा कि एफडीआई के अच्छी स्थिति में होने से हमें संकेत मिलता है कि जो पैसा आ रहा है, उसका निवेश इस देश में हो रहा है और इस तरह हमारे लिए रोजगार सृजन हो रहा है तथा संभावनाएं बन रही हैं। यह एफआईआई और एफपीआई से नहीं हो रहा|