रूस-युक्रेन युद्ध: जापान ने भारत पर रूस की आलोचना करने का डाला दबाव, 'कहा भारत शुरू से ही सबसे बड़ी चुनौती था


नई दिल्ली
भारत को छोड़कर क्वॉड के सभी सदस्य देश (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा कर रहे हैं और उन्होंने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगा रखे हैं| लेकिन भारत रूस-यूक्रेन युद्ध पर निष्पक्ष रुख अपनाए हुए है| अमेरिका लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है कि भारत रूस की आलोचना करे| क्वॉड सदस्य जापान के पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने भी रूसी हमले को लेकर भारत के रुख पर टिप्पणी की हैरूसी हमले की निंदा करने की भारत की अनिच्छा के बावजूद क्वॉड देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को ये कोशिश करनी चाहिए कि भारत उनके पाले में रहे| जापान की फूजी टीवी के एक कार्यक्रम में उन्होंने बोलते हुए कहा कि चार देशों के इस ढांचे (QUAD) की रक्षा करना स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत की शांति और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगाजापान भारत को हर तरीके से संदेश भेजने की कोशिश कर रहा है भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूसी आक्रमण की निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से भी खुद को कई बार दूर रखा है जिससे पता चलता है कि भारत मुद्दे पर तटस्थ रहना चाहता है| जवाब में उन्होंने कहा, 'भारत शुरू से ही सबसे बड़ी चुनौती था.' उन्होंने कहा कि भारत शुरू में क्वॉड को इंडो-पैसिफिक के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं रखता था सुगा ने कहा, 'लेकिन जापान के दृष्टिकोण से, भारत को क्वॉड में शामिल करना समग्र रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था इसलिए हमने कई प्रयास करके भारत को क्वॉड में शामिल कराया

उन्होंने आगे कहा, 'जब मैं प्रधानमंत्री था, सभी चार देशों के नेता व्यक्तिगत रूप से इकट्ठा होने में कामयाब रहे. अब फिर ये चार नेता जापान में एकत्र होंगे, ये निर्णय लिया गया.' हालांकि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने भारत की रूस के प्रति स्थिति पर अपनी समझ भी दिखाई. उन्होंने कहा, 'चीन के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं भारत रूस को एक महत्वपूर्ण देश मानता है.' सुगा ने जोर देकर कहा कि क्वॉड के लिए न केवल भारत को पाले में रखना महत्वपूर्ण है, बल्कि उसे अन्य देशों को भी पक्ष में रखने की कोशिश करनी चाहिए. आसियान के देशों को भी पाले में लाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अगर हम जापान के राष्ट्रीय हितों के बारे में सोचते हैं, तो भारत को क्वॉड समूह में रखना और आसियान को इसमें शामिल करना महत्वपूर्ण होगा. साथ ही हमें चीन को एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में प्रवेश करने से नहीं रोकना चाहिए|'


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