स्वर्गीय अजीत जोगी की 76 वीं जयंती पर कल अमित जोगी कर सकते हैं बड़ा ऐलान, छत्तीसगढ़ अधिकार दिवस के रूप में किया है कार्यक्रम का आयोजन


रायपुर
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छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के 76वी जयंती के अवसर पर प्रदेश की राजधानी रायपुर में 29 अप्रैल को दोपहर 2 बजे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटॉरीयम में श्रद्धांजली (भजन एवं लोकगीत) समारोह का आयोजन किया गया है। बता दें कि जोगी कांग्रेस अजीत जोगी की जयंती को छत्तीसगढ़ अधिकार दिवस के रूप में मनाने वाली है| इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से हजारो लोग शामिल हो सकते है| कार्यक्रम में जोगी कांग्रेस कुछ बड़ा ऐलान कर सकती है| प्रदेश में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी पार्टी की रणनीती पर चर्चा हो सकती है|

अविभाजित मध्यप्रदेश के इंदौर के पूर्व कलेक्टर और छत्तीसगढ़ के पहले सीएम रहे अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी है| गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के पेंड्रा में जन्मे अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले आइपीईस और फिर आईएएस की नौकरी की| इन्होनें 1981 से 1985 तक इंदौर के जिला कलेक्‍टर के तौर पर अपनी सेवाएं दी|

राजनीतिक जीवनपॉलिटिक्स में एंट्री वाया राजीव गांधी

कहा जाता है कि इंदौर का कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी ने पूर्व प्रधानमंत्री और पायलट रहे राजीव गांधी से उनके जो रिश्ते बने, वही उन्हें राजनीति में लाने में मददगार बने। 1986 में कांग्रेस को मध्य प्रदेश से ऐसे शख्स की जरूरत थी जो आदिवासी या दलित समुदाय से आता हो और जिसे राज्यसभा सांसद बनाया जा सके| बताया जाता है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह अजीत जोगी को राजीव गांधी के पास लेकर गए तो उन्होंने फौरन उन्हें पहचान लिया और यही से उनकी सियासी दुनिया में एंट्री हुई।

राजीव गांधी की सलाह पर उन्होंने नौकरी छोड़ी और फिर उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा का सदस्य बनाया|जल्दी ही अजित जोगी राजीव गांधी की कोर टीम के सदस्य बन गये| दो बार राज्यसभा के लिये चुने जाने वाले अजित जोगी को कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया|

इसके बाद इन्‍होंने कांग्रेस ज्‍वाइन की|वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ बना तो वे नौ नवंबर 2000 से 6 दिसंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ राज्‍य के मुख्यमंत्री रहे| 14वी लोकसभा में जोगी महासमंद से 2004 से 08 तक सांसद भी रहे| वर्ष 2008 में मरवाही क्षेत्र से ये विधायक चुने गये |

जाति का विवाद

भाषण देने की कला में माहिर माने जाने वाले अजीत जोगी अपनी जाति को लेकर भी विवादों में रहे। कुछ लोगों ने दावा किया कि अजीत जोगी अनुसूचित जनजाति से नहीं हैं। मामला अनुसूचित जनजाति आयोग से होते हुए हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन अजीत जोगी कहते रहे हैं कि हाईकोर्ट ने दो बार उनके पक्ष में फैसला दिया है। मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच करने की बात कही। यह जांच छत्तीसगढ़ सरकार के पास है।

2004 में हुए थे हादसे का शिकार

 वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह एक दुर्घटना के शिकार हुए, जिससे उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। उनके राजनीतिक विरोधी यह मान बैठे कि अब वे ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं, लेकिन इतने बरसों तक वह राजनीति में सक्रिय बने रहे। अपनी शारीरिक कमजोरी के बावजूद राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे।

74 साल की उम्र में हुयी मृत्यु

74 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली| रायपुर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली| 29 मई 2020 को अजीत जोगी की दिल का दौरा पड़ने से एक नारायण अस्पताल में मृत्यु हो गई।