भोरमदेव महोत्सव 2022: बैगा-आदिवासियों की पारम्परिक लोक नृत्य से शुभारंभ हुआ भोरमदेव महोत्सव


कवर्धा।
छत्तीसगढ़ कबीरधाम की ऐतिहासिक, पुरात्तविक, धार्मिक, पर्यटन और जन आस्था का केन्द्र के नाम से आयोजित होने वाले भोरमदेव महोत्सव वर्ष 2022 का जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति बैगा-आदिवासियों की पारम्परिक लोक नृत्य के साथ विधिवत शुभारंभ हुआ। महोत्सव शुभारंभ से पहले प्राचीनतम मंदिर बाबा भोरमदेव शिव जी की प्रातः काल महाअभिषेक, एक हजार नामों से सहस्त्रार्चन,रूद्राभिषेक, विशेष श्रृंगार आरती की गई। दूसरे पहर शायं काल में सहस्त्रधारा से महाभिषेक, श्रृंगार महाआरती-भस्म आरती, शिव सरोवर के सामने भगवान वरूण देव का पूजन, दीपदान, गंगा आरती की जाएगी। 

बाबा भोरमदेव शिव जी की विशेष आरती में कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा, पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेंद सिंह, जिला पंचायत सीईओ संदीप कुमार अग्रवाल, डीएफओ चुनामणी सिंह, कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, बोड़ला एसडीएम कोरी सहित जिला प्रशासन की टीम, गणमान्य नागरिक और सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण भी शामिल हुए। 


कोविड संक्रमण के बाद पिछले दो वर्षों के बाद वर्ष 2022 में 26वे भोरमदेव महोत्सव का आयोजन हो रहा है। इस बार महोत्सव 30 एवं 31 मार्च को होगा। प्रतिवर्ष प्राचीनतम काल से प्रत्येक वर्ष भोरमदेव महोत्सव का आयोजन होली के बाद तेरस और चौदस की तिथि में होता है। 30 मार्च को बाबा भोरमदेव मंदिर में शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना के साथ मंदिर प्रांगण में 12 से 1 बजे के बीच जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति की पांरम्परिक नृत्य के साथ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस बार महोत्सव में छत्तीसगढ़ के स्थानीय तथा अंचल के कलाकारों को भी महत्व देते हुए मंच प्रदान किया गया है। बैगा नृत्य के बाद मंदिर प्रागंण में छत्तीसगढ़ की लोक पांरम्परिक एवं कला संस्कृति पर अधारित जसगीत, बैगा नृत्य, करमा नृत्य, बांस गीत, राम भजन, शिव आराधना सहित अलग-अलग धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस बार इस दो दिवसीय महोत्सव में छत्तीसगढ़ और भारतीय संस्कृति की अलग-अलग कला विधाओं का मंच में संगम होने जा रहा है। दो दिवसीय महोत्सव में छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति के साथ बॉलीवुड कार्यक्रमों का आंनद उठा सकते है।