"मेनस्ट्रीम की फ़िल्म 'बधाई दो' में नजर आए प्रदेश के समलैंगिक युवा, जानिए छोटे शहर से बड़े पर्दे तक का उनका सफ़र"




रायपुर: समाज में समलैंगिकता लज्जा और उत्पीड़न तथा फिल्मों में उपहास का विषय रही है, लेकिन समलैंगिक रिश्तों पर भारतीय सिनेमा पिछले कुछ सालों में प्रगतिशील होता नजर आ रहा है। और आज ये बात खास इसलिए है क्योंकि हालहि में समलैंगिक मुद्दों पर बनी बॉलीवुड फिल्म "बधाई दो" में प्रदेश के दो युवा नज़र आये हैं।



रायपुर में रहने वाले सिद्धांत और अंकित दास, जिनकी यह बड़े पर्दे के कलाकारों के साथ पहली फ़िल्म है। फ़िल्म बधाई दो जो कि लैवेंडर मैरिज पर आधारित है, जिसमें राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर ने गे और लेस्बीयन के रूप में मुख्य भूमिका निभाई है। अबतक समलैंगिक किरदारों को बॉलीवुड में एक हास्यास्पद रूप में दिखाया जाता रहा है, लेकिन यह पहली बार है की इस मुद्दे एवं इसपे आधारित किरदारों के जीवन के बारे में इतने गहराई और उनके जीवन में होने वाली कठिनाइयों को इतने स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। 



अंकित और सिद्धांत कहते है की यह हमारे और हमारे जैसे कई लोगों के लिए बेहद ख़ुशी की बात है कि 'बधाई दो' जैसी बॉलीवुड फ़िल्म में समुदाय से आने वाले वास्तविक लोगों को काम करने का मौका दिया गया। जिससे एक नयी पहल शुरू की गई और इन गंभीर विषयों को लाकर, उन्हें इतने संवेदनशीलता से दर्शाया गया है। उनका कहना है कि बड़े पर्दे के कलाकारों के साथ मूवी सेट पर काम करना और प्राइड परेड करते हुए स्क्रीन पर आना उनके बेहद गर्व की बात है। इस फ़िल्म के ज़रिए हम खुद को पहली बार भारत के लाखों करोड़ों दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, न केवल लैंगिक पहचान  बल्कि उससे जुड़े संघर्षों का परिचय कराते हुए नज़र आ रहें है क्योंकि आज भी यह हमारे समाज में इसे एक टैबू की तरह देख जाता है।


अंकित और सिद्धांत एक मेसज सभी तक पहुँचाना चाहते है की समलैंगिक होना कोई गुनाह नहीं, समलैंगिक होना उसी तरह प्राकृतिक है जैसे एक पुरुष एवं महिला का प्यार करना। और ज़्यादातर हमें एक दूसरे का सपोर्ट करना चाहिए नाकि उनका मज़ाक़ बनाना चाहिए, एक समलैंगिक व्यक्ति को अनगिनत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उनका साथ दें। उन्हें उनके जेंडर और लैंगिकता के ऊपर एक इंसान के रूप में अपनाए. आज सरकार ने समलैंगिकता को तो मान्य कर दिया है लेकिन समलैंगिक विवाह, और बच्चे गोद लेना आज भी गैरक़ानूनी है, समलैंगिक लोगों के लिए अब हमें एक जुट होके समाज को प्रगति की ओर अग्रसर करना है, जहां एक समलैंगिक व्यक्ति को समलैंगिक होने में शर्म न महसूस हो।