कवर्धा, 10 जनवरी 2020। कबीरधाम जिले के बैगा व आदिवासी बाहूल्य विकासखण्ड बोड़ला के तरेंगांव जंगल में वनांचल और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कोदो-कुटकी (लघु धान्य) के नए प्रसंस्करण इकाई से कोदो चावल की उत्पाद शुरू हो गई है। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण और जिला पंचायत सीईओ विजयदया राम के ने वनांचल क्षेत्रों में संचालित होने वाले आश्रम-छात्रावास का अकास्मिक निरीक्षण के तरेगांव जंगल के कोदो कुटकी प्रसंस्करण केन्द्र का आकस्मिक रूप से निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान भगवान बिरसा मुंडा जैव स्वसहायता समूह के महिला सदस्यों द्वारा कोदो से चावल निकालने का काम किया जा रहा था। समूह की अध्यक्ष श्रीमती लमिया बाई ने बताया कि कोदो कुटकी प्रसंस्करण केन्द्र संचालित होने से क्षेत्र के सैकड़ों परिवारों को इसका लाभ मिलना शुरू हो गया है।
कृषि विभाग के सहायक संचालक एमडी डड़सेना ने बताया कि ग्राम तरेगांव में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के बाद वनांचल क्षेत्र के स्थानीय किसानों को अपनी उत्पाद का प्रसंस्करण करने में आसानी हो रही है। किसानों को कोदो-कुटकी फसलों के प्रसंस्कृत मूल्य प्रवर्धित उत्पाद स्थानीय बाजार से पांच से छः गुना ज्यादा कवर्धा में 50-60 रूपए और रायपुर तथा अन्य नगरों में 80 से 100 रूपए. में विक्रय किए जाएंगे। इसके लिए बाजार तैयार किए जाएंगे।वर्तमान में किसानों द्वारा स्थानीय बाजार में 15 से 20 रूपए में बेजा जाता था। इन फसलों के अनाज का उपयोग चांवल के रूप में खाने में स्थानीय वनांचल के कृषकों द्वारा किया जाता है। चांवल के रूप में प्रसंस्करण के लिए हस्तचलित पत्थर अथवा मिट्टी की जांता का उपयोग किया जाता है, जिसमें अत्यधिक श्रम और समय की आवश्यकता होती है। किसानों को अपने स्वयं के उपयोग और बाजार में बेचने में कोदो-कुटकी का चांवल उपार्जन करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। राज्य शासन ने किसानों की इन्ही समस्या और परेशानियों को ध्यान में रखते हुए वनाचंल के इन बड़े ग्राम पंचायत में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना मंजूरी दी है। अकास्मिक निरीक्षण के दौरान बोड़ला एसडीएम विनय सोनी, नयाब तहसीलदार अमन चतुर्वेदी, सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
कोदो-कुटकी कें बीमारियों से लड़ने की शक्ति मौजूद
कोदो-कुटकी पूर्णतः जैविक रूप से उगाए जाने के कारण इस क्षेत्र के इन फसलों के उत्पादों का राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बहुत मांग है। जीवन शैली से संबंधित बीमारियां जैसे-मधुमेह, कॉर्डियोवेस्कुलर, ऑस्टियोंपोरोशिस एवं ओबेसिटी जैसी बीमारियों से शहरी सभ्यता की अधिकांश जनसंख्या पीड़ित है। इन सभी बीमारियों से लड़ने की शक्ति इस कोदो-कुटकी आनाज में उपलब्ध है इसलिए इन फसलों के उत्पादों की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। कोदो में (प्रति 100 ग्राम में) प्रोटीन 8.3 प्रतिशत, वसा 1.4 प्रतिशत, फाईबर 9 प्रतिशत, मिनरल 2.6 प्रतिशत, कैल्शियम 26 मिली ग्राम, कुटकी में (प्रति 100 ग्राम में) प्रोटीन 7.7 प्रतिशत, वसा 4.7 प्रतिशत, फाईबर 7.6 प्रतिशत, मिनरल 1.5 प्रतिशत, आयरन 9.3 प्रतिशत, कैल्शियम 17 मिली ग्राम पाए जाते है। इसमें आइसोल्यूसिन, ल्यूसिन, लाइसिन, मेथियोनिन, सिस्टीन, फिनाईलएलानिन, टाइरोसिन, ट्रिप्ओफेन, वेलिन, हिस्टीडिन आवश्यक अमीनो एसिड्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।
कबीरधाम जिले में 8955 हेक्टर में कोदो-कुटकी की खेती
कबीरधाम में लघु धान्य (कोदो-कुटकी) की फसलों की खेती 8955 हेक्टर क्षेत्र में की जाती है, जिसका उत्पादन लगभग 7682 मीट्रिक टन होता है। यह फसलें विशेषकर वनांचल क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय के किसानों द्वारा प्राकृतिक रूप से उर्वरक और रसायनों के उपयोग के बिना की जाती है। कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, खनिज तत्व, विटामिंस से भरपूर होने के कारण इन फसलों को ‘‘न्यूट्रीसिरियल्स‘‘ के नाम से जाना जाता है।
लंबित प्रकरणों को तरेगांव जंगल में हस्तांतरित शीघ्र करें-कलेक्टर
कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने इसके अलावा तरेगांव जंगल के एकलव्य स्कूल,तरेगांव जंगल में तहसील कार्यालय का भी अकास्मिक रूप से निरीक्षण किया। कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारी को तरेगांव जंगल के तहसील कार्यालय में सप्ताह में शुक्रवार को न्यायालय का दिन निर्धारित करने के निर्देश दिए। उन्होने बोड़ला तहसील कार्यालय में तरेगांव जंगल के अधिनस्थ ग्रामों से लंबित सभी प्रकरणों को तरेगांव जंगल कार्यालय में हस्तांतरित करने के शीघ्र निर्देश भी दिए।