संजय यादव "द फायर न्यूज"
पण्डरिया। नगर में अवैध सट्टे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। चौक -चौराहों पर सटोरिये सक्रिय हैं। दोपहर होते ही ठेले खोमचे में सट्टा पट्टी वालों की भीड़ लग जाती है।
नगर के गोपीबंद चौक, बैराग पारा, चांदनी चौक, पुराना बस स्टैण्ड में सट्टा लिखवाने वालों की भीड़ देखी जा सकती है। खाईवालों की चक्रव्यू में लोग इस कदर फंस चुके हैं कि इससे उबर नहीं पा रहे हैं। नगर में एक दो नहीं बल्कि चार-चार खाईवाल लंबे समय से सट्ठा संचालित कर रहे हैं। पुलिस और खाईवालों की मिलीभगत से सट्टे का अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पूरी तरह चरम पर है। खाईवालों ने भी गांव और नगर को अपने अपने जोन में बांट रखा है। जिसमें एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता।
पुलिस से सांठगाठ के चलते इस अवैध कारोबार को बकायदा लायसेंसी कारोबार की तरह शहर में संचालित किया जा रहा है। इतना ही नहीं पुलिस और खाईवाले की सेटिंग इतनी तगडी़ है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गे का एक प्रकरण बनवा देते हैं। और फिर बाद में पैसे देकर बाहर आ जाते हैं। इस तरह पुलिस और अवैध कारोबार करने वालों के सांठगाठ के चलते आम लोगों की परेशानी बढ़ गयी है।
25-25 हजार रूपये लेकर छोड़ने का आरोप
अवैध सट्टे के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पण्डरिया पुलिस की कार्यशैली पर कई तरह के प्रश्नचिन्ह खडे़ हो रहे हैं। पुलिस सटोरियों को पकड़ती तो है लेकिन 20-25 हजार रूपये लेकर बिना प्रकरण दर्ज किए ही छोड़ देती है। नाम ना छापने की शर्त पर एक सटोरिये ने 'द फायर न्यूज' से बात करते हुए इसका खुलासा किया है।
अगर इस तरह जनता की रक्षा में तैनात पुलिसकर्मी ही अवैध कारोबार करने वालों की संरक्षण में कार्य करने लग जाए तो सवाल उठना लाजमी है। अब देखना यह होगा कि जिले के कप्टान अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने और ऐसे रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई करते हैं।
अनिल कुमार सोनी
एएसपी, कबीरधाम
"इस तरह का मामला है तो पहले जांच होगी । फिर उचित कार्रवाई होगी"
पण्डरिया। नगर में अवैध सट्टे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। चौक -चौराहों पर सटोरिये सक्रिय हैं। दोपहर होते ही ठेले खोमचे में सट्टा पट्टी वालों की भीड़ लग जाती है।
नगर के गोपीबंद चौक, बैराग पारा, चांदनी चौक, पुराना बस स्टैण्ड में सट्टा लिखवाने वालों की भीड़ देखी जा सकती है। खाईवालों की चक्रव्यू में लोग इस कदर फंस चुके हैं कि इससे उबर नहीं पा रहे हैं। नगर में एक दो नहीं बल्कि चार-चार खाईवाल लंबे समय से सट्ठा संचालित कर रहे हैं। पुलिस और खाईवालों की मिलीभगत से सट्टे का अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पूरी तरह चरम पर है। खाईवालों ने भी गांव और नगर को अपने अपने जोन में बांट रखा है। जिसमें एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता।
पुलिस से सांठगाठ के चलते इस अवैध कारोबार को बकायदा लायसेंसी कारोबार की तरह शहर में संचालित किया जा रहा है। इतना ही नहीं पुलिस और खाईवाले की सेटिंग इतनी तगडी़ है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गे का एक प्रकरण बनवा देते हैं। और फिर बाद में पैसे देकर बाहर आ जाते हैं। इस तरह पुलिस और अवैध कारोबार करने वालों के सांठगाठ के चलते आम लोगों की परेशानी बढ़ गयी है।
25-25 हजार रूपये लेकर छोड़ने का आरोप
अवैध सट्टे के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पण्डरिया पुलिस की कार्यशैली पर कई तरह के प्रश्नचिन्ह खडे़ हो रहे हैं। पुलिस सटोरियों को पकड़ती तो है लेकिन 20-25 हजार रूपये लेकर बिना प्रकरण दर्ज किए ही छोड़ देती है। नाम ना छापने की शर्त पर एक सटोरिये ने 'द फायर न्यूज' से बात करते हुए इसका खुलासा किया है।
अगर इस तरह जनता की रक्षा में तैनात पुलिसकर्मी ही अवैध कारोबार करने वालों की संरक्षण में कार्य करने लग जाए तो सवाल उठना लाजमी है। अब देखना यह होगा कि जिले के कप्टान अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने और ऐसे रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई करते हैं।
अनिल कुमार सोनी
एएसपी, कबीरधाम
"इस तरह का मामला है तो पहले जांच होगी । फिर उचित कार्रवाई होगी"
Pandariya police jimmedar hai
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